जल मंदिर मैरिज हाउस में आज से शुरू होगी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा, भारद्वाज परिवार है आयोजक शिवपुरी-जीवन में मनुष्य को ईश्वर से ...
जल मंदिर मैरिज हाउस में आज से शुरू होगी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा, भारद्वाज परिवार है आयोजक
शिवपुरी-जीवन में मनुष्य को ईश्वर से जोडऩे के लिए यदि कोई माध्यम है तो वह श्रीमद् भागवत कथा, जिसके श्रवण मात्र से मनुष्य मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है यही कारण है कि जन-जन में भक्ति संचार और ईश्वर के प्रति निकटता को लेकर श्रीमद भागवत कथा के विभिन्न प्रसंग भक्ति से जुड़े होते है और यही प्रभु भक्ति ईश्वर से जोडऩे का कार्य करती है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए, इस आयोजन से ना केवल शिवपुरी बल्कि आसपास के जीव-जन्तु, वनस्पति, प्राणी सभी अपना जीवन कल्याण करते है, शिवपुरी में वैष्णव परंपरा के तहत यह जल मंदिर मैरिज हाउस भी वैष्णव स्थान में शामिल है इसलिए यह आयोजन यहां हो रहा है वर्ष 2002 में पहला आयोजन रासलीला व श्रीमद् भागवत कथा गांधी पार्क में हुई जबकि द्वितीय आयोजन फतेहपुर टोंगरा मार्ग पर किया गया इसके बाद वर्ष 2021 में यह तीसरा आयोजन भारद्वाज परिवार का है जहां प्रभु भक्ति के लिए श्रीमद् भागवत कथा का रसपान उपस्थित श्रद्धालुजनों को कराया जाएगा। उक्त उद्गार व्यक्त किए श्रीवृन्दावन धाम से पधारे श्री जुगलकिशोर जी महाराज ने जो स्थानीय जल मंदिर मैरिज हाउस कथा स्थल पर आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कथा के मुख्य यजमान महेन्द्र भारद्वाज, राजेन्द्र भारद्वाज व रविन्द्र भारद्वाज सहित गणमान्य नागरिक मुन्नाबाबू गोयल, मथुराप्रसाद गुप्ता, रामसेवक गुप्ता सहित अन्य धर्मप्रेमीजन मौजूद रहे।
प्राचीन काल की याद दिलाता है कोरोना काल, इसलिए करें प्रभु भक्ति
प्रेसवार्ता में श्रीमद् भागवताचार्य श्री जुगलकिशोर जी महाराज ने कोरोना काल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कोरोना आज का नहीं बल्कि यह पुरातन परंपरा है जब पूर्व समय में मनुष्य शौच इत्यादि से निवृत्त होकर हाथ धोता था, मुंह के कण किसी अन्य को ना चले जाए इसलिए मुंह पर कपड़ा लगाकर ईश्वर की पूजा और अन्य लोगों से बात की जाती थी, दूरी का ख्याल रखा जाता था ताकि एक-दूसरे के संक्रमण आपस में प्रवाहित ना हो। वर्तमान हालातों में भी यही हो रहा है जहां कोरोना काल में लोग मास्क, सेनेटाईज और दो गज की दूरी का पालन कर रहे है। ऐसे में कोरेाना काल में कलयुग का प्रभाव भी देखने को मिल रहा है यह कलियुग 5 हजार वर्षों का है और यह तो इसका पहला चरण है ऐसे में इन सभी दु:ख विनाशको से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर भक्ति करें, अपने माता-पिता, आचार्य का पूजन करें, घरों में प्रतिदिन भगवान की पूजा आराधना होना चाहिए, ईश्वर को प्राप्त करने के लिए भजन-कीर्तन जरूर करें, इतना सब करोगो तब निश्चित ही हर घर में प्रभु का वास होगा।
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