शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में 12 मार्च से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में मध्य प्रदेश शा...
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में 12 मार्च से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग की कार्य योजना के अंतर्गत आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा आजादी में गुमनाम हुए नामों को लेकर एक दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में इतिहासकार डॉ जे पी श्रीवास्तव को आमंत्रित किया गया।
महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को आजादी के महत्व तथा उस में शहीद हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मरण से अवगत कराने के लिए व्याख्यानमाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार ने की कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर यूसी गुप्ता ने बताया कि इस व्याख्यानमाला का आयोजन देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में पूरे प्रदेश में मध्य प्रदेश शासन द्वारा एक कार्य योजना के तहत किया जा रहा है कार्यक्रम में भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जितेंद्र धाकड़, वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर वीरेंद्र कौशल ने उपस्थित होकर अपने विचार रखें।
महाविद्यालय के प्राचार्य ने छात्रों को बताया कि आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली बल्कि इसको पाने के लिए हमारे बुजुर्गों ने और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कुर्बानी दी थी आज के युवाओं को इसके महत्व को समझना चाहिए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ जेपी श्रीवास्तव ने बताया कि देश की आजादी के लिए जिन लोगों ने अपनी कुर्बानी दी वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से जाने जाते हैं जिन्हें आज के युवाओं को पढ़ना और समझना चाहिए लेकिन बहुत से ऐसे भी नाम हैं जिनके नाम इतिहास के पन्नों में दबे रहे किंतु उन्होंने भी कंधे से कंधा मिलाकर हमें आजादी दिलाई उनमें से कुछ नाम प्रमुख हैं जैसे- हरियाणा के अदनी राम जिन्हें अंग्रेजों ने पत्नी सहित पीपल के वृक्ष से कीलों से जड़ दिया था तथा 35 दिन तक असंख्य यातनायें दी थी। उत्तर भारत के प्रमुख क्रांतिकारी पंडित गेंदालाल दीक्षित जो क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। शेख अली अफरीदी जिन्होंने लॉर्ड मेयो की हत्या का प्रयास किया था इसके अतिरिक्त महिलाओं में कनकलता बरूआ,मातंगिनी हाजरा तथा भोगेश्वरी फुकनानी जैसी महिलाओं ने भी भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए शहीद हो गए इन गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की स्वतंत्रता रूपी भवन में नींव की ईंट का काम किया।
व्याख्यानमाला में महाविद्यालय के युवा छात्र आदित्य पाठक ने अपने विचार रखते हुए देश की आजादी हमें कैसे मिली हम सबको जाना चाहिए तथा झलकारी बाई का उल्लेख करते हुए बताया कि उनकी भी स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही हमें उनका भी स्मरण रखना चाहिए।
अंत में प्रोफेसर वीरेंद्र कौशल ने सभी वक्ताओं का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में डॉ मनीषा पांडे, प्रोफेसर दर्शनलाल और प्रोफेसर वरुण कुमार ने भी सहभागिता की।
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